भाषा के कितने रूप होते हैं| Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा के कितने रूप होते हैं, मौखिक, लिखित और सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं इनके उदहारण: अगर आप लोग गूगल पर भाषा के कितने रूप होते हैं (Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain) इस बारे में सर्च कर रहें हैं तो आप एक दम सही जगह पर हैं। इस लेख में हम आपको भाषा के रूपों के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं। अक्सर लोग इस भाषा के कितने रूप होते हैं इसे इंटरनेट पर सर्च करते हैं लेकिन उन्हें सही जानकारी नहीं मिलती। लेकिन आज हम आपको इस बारे में पूरी जानकारी देने जा रहें हैं।

भाषा के रूपों के बारे में जानने से पहले आपको सबसे पहले यह पता होना चाहिए कि भाषा कहते हैं। इसके बाद ही ही आप भाषा के रूपों के बारे में अच्छी तरह से जान पाएंगे। आइये अब आपको बताते हैं भाषा और उसके रूपों के बारे में।

भाषा क्या होती है

Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain

भाषा संवाद का एक माध्यम होठ है जो दो या इससे अधिक लोगो के बीच संचार को संभव बनाती है। दुसरे शब्दों में कहें तो भाषा किसी व्यक्ति, समूह के विचारों, भावना और ज्ञान को व्यक्त करने का माध्यम होती है। एक व्यक्ति या समूह की विचारों, भावनाओं और ज्ञान को व्यक्त करने का एक माध्यम होती है।

भाषा वह जरिया है जिसकी मदद से हम अपने अपने विचारो को व्यक्त कर सकते हैं। मुख से अपने विचारो को व्यक्त करने के लिए वाचिक ध्वनियों का उपयोग करते हैं। भाषा, मुख से निकलने वाले शब्दों और वाक्यों का समूह है जिससे कोई भी व्यक्ति अपने मन की बात कह पाता है।

किसी भी भाषा में सभी ध्वनियों के प्रतिनिधि स्वर एक व्यवस्था में मिलकर एक भाषा का निर्माण करते हैं। आसान शब्दों में हम भाषा को अपने विचारो के आदान- प्रदान का माध्यम कह सकते हैं। इसके साथ ही यह हमारे आभ्यन्तर के निर्माण, विकास, हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक की पहचान का साधन भी है। भाषा के बिना हम बिलकुल अधूरे हैं।

भाषा का उपयोग लिखित और उच्चारणिक रूपों में किया जाता है। अलग-अलग भाषा में विचारो को व्यक्त करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है।

भाषा के कितने रूप होते हैं (Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain)

आपको बता दें कि भाषा के 3 रूप होते हैं जो मौखिक,,लिखित और सांकेतिक होते हैं। भाषा इन सभी भावो का इस्तेमाल हम अपने भाव को किसी दूसरे को प्रकट करने के लिए करते हैं। भाषा के तीनो रूप नीचे दिए गए हैं

  1. मौखिक भाषा
  2. लिखित भाषा
  3. सांकेतिक भाषा

आइये अब आपको हम भाषा इन तीनो रूपों के के बारे में विस्तार से बताते हैं।

1.मौखिक भाषा

मौखिक भाषा की बात करें तो यह भाषा का वह रूप है जिसके द्वारा हम आपको मन या दिमाग में चल रही बातो को अपने मुख से बोल कर प्रकट करते हैं। मौखिक भाषा में वह सभी भाषा शामिल हो सकती हैं जिनका इस्तेमाल हम बोलकर किसी भी व्यक्ति को अपनी बात बोलने या समझाने की कोशिश करते हैं। जैसे की न्यूज़ चैनल पर एंकर बोलकर अपनी बातो को टीवी के माध्यम से पूरे देश और दुनिया में पहुंचाता है। यह मौखिक भाषा का एक उदहारण हैं। मौखिक भाषा को हम बोली भी कहते हैं क्योंकि भाषा के इस रूप से कोई भी बात एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को कही जाती है या अपनी बातों को समझाने की कोशिश करता है। मौखिक रूप भाषा का बहुत ही पुराना रूप है जो कि कई युगों से इस्तेमाल किया जा रहा है।

मौखिक भाषा के निम्नलिखित उदाहरण

मौखिक भाषा के उदहारण की बात करें तो कोई व्यक्ति जो रेडियो स्टेशन पर काम करता है वो रेडियों के माध्यम से अपनी बात कई लोगो तक पहुंचा सकता है जो कि उस समय रेडियो का इस्तेमाल कर रहें होते हैं। जब हम टीवी पर किसी बड़े मंत्री या नेता का भाषण सुनते हैं तो वह बोलकर अपने मन की बात नागरिको तक पहुचाने की कोशिश करता है।

2. लिखित भाषा

“लिखित” भाषा का रूप होता है जिससे हम कोई भी बात किसी व्यक्ति को अपने विचार लिख कर बताते हैं। विचारो या भावनाओं को बताने के लिए हम लिखित शब्दों का प्रयोग करते हैं। इसी को हम लिखित भाषा कहते हैं। आपको बता दें कि कोई व्यक्ति हमारे लिखित विचारो को तभी समझ सकता है जब कि वह उस भाषा को समझता हो। जब हम अपने फ़ोन से message में कोई टेक्स्ट लिख कर किसी को भेजते हैं तो इसे लिखित भाषा ही कहा जाता है। पत्र लेखन में भी लिखित भाषा का प्रयोग किया जाता है।

लिखित भाषा की सबसे खास बात यह होती है कि मौखिक भाषा एक बार कहने के बाद मिट जाती है लेकिन लिखित भाषा लंबे समय तक रहती है।

लिखित भाषा के उदाहरण क्या है

पुराने समय में जब इंटरनेट और मोबाइल फ़ोन का उपयोग नहीं होता था तो हर कोई पत्र लिखकर एक दूसरे को सन्देश भेजता था। जो कि लिखित भाषा का उदाहरण है। ऐसे ही आज इंटरनेट के युग में लोग एक दूसरे को मेसेज भेजने के लिए whatsapp का प्रयोग करते हैं। जब दूसरा व्यक्ति उस सन्देश को पढता हैं जो कि उस भाषा को जानता है तो वह उन लिखित भाषा को समझ जाता है।

समाचार पत्र में भी रोज की होने वाली घटनाओं की जानकारी आम जनता तक पहुंचाने के लिए भी लिखित भाषा का प्रयोग किया जाता है।

3. सांकेतिक भाषा

 ऐसी भाषा जिसमे विचारों को संकेत के रूप में प्रकट किया जाता है इसे हम सांकेतिक भाषा कहते हैं। सांकेतिक भाषा का प्रयोग कई जगह किया जाता है। जैसे मुक बधिर बच्चे और दिव्यांग लोगो के लिए, ट्रैफिक नियमों में आदि।

सांकेतिक भाषा के उदाहरण

जब क्रिकेट के मैदान में जब बल्लेबाज 6 या 4 लगाता है एंपायर द्वारा हाथों से संकेत दिया जाता है। जैसे हम किसी को बाय कहने के लिए अपना हाथ हिलाते हैं जो कि सांकेतिक भाषा का उदाहरण है। पुलिस हाथ भी अपने हाथ से इशारा करते हुए वाहन चालको को signal देता है। यह भी एक सांकेतिक भाषा का ही उदहारण है।

भाषा का महत्व

हमारे जीवन में भाषा का महत्व अदभुद है। आपको बता दें कि सभी जीवो में केवल मनुष्य एक ऐसी प्रजाति है जो कि संज्ञानात्मक भाषा में संचार करता है। भाषा हमें अपनी बात, विचार और भावनाओं को दूसरे व्यक्ति को व्यक्त करने की अनुमति प्रदान करती है। भाषा का ज्ञान हमें प्रभावी ढंग से लोगो से संवाद करने के योग्य बनता है। अगर आपको कोई भाषा आती है तो इसका मतलब यह है कि आप दूसरे व्यक्ति तक अपनी बात प्रभावी ढंग से पहुंचा सकते हैं। किसी भी भाषा को सीखने के लिए उसकी व्याकरण, शब्दों, संरचना आदि का ज्ञान होना जरुरी है।

जब कोई शिशु जन्म लेता है तो उसे भाषा का ज्ञान नहीं होता लेकिन जब वो धीरे धीरे बड़ा होता है तो वह अपने आसपास के लोगो से उस भाषा को सीखता है और फिर जैसे जैसे वो बड़ा होता जाता है तो वह खुद से शब्दों को बोलना और वाक्यबनाना सीख जाता है।

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